spot_imgspot_imgspot_img
Wednesday, July 23, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Burhānpur
overcast clouds
27.8 ° C
27.8 °
27.8 °
76 %
3.1kmh
100 %
Tue
28 °
Wed
26 °
Thu
30 °
Fri
30 °
Sat
24 °

Parliamentजानिए भारत की संसद में शुन्य काल का क्या होता है मतलब ?

ओटीपी फ्रॉड से बचने के लिए यहां क्लिक करें

खबर क्या है ?

Parliamentभारतीय संसद में दो काल होते है पहला शुन्य काल और दूसरा प्रशन काल
शुन्य काल संसद के कामकाज का एहम हिस्सा होता है इस काल में सांसद पूर्व सूचना ज्वलंत मुद्दो को उठाने लिए मौका देता है प्रश्न काल के ठीक बाद शुन्य काल शुरू होता है ।

विस्तार से जानते है शुन्य काल को

जैसा कि हम बता चुके है शुन्य काल भारत की संसद का एहम हिस्सा होता है संविधान ने संसद में सांसदों को शुन्य काल के अनौपचारिक व्यवस्था है हालांकि की संसद की क्रियान्वयन नियमावली में इसका जिक्र नहीं है लेकिन सांसद को शुन्य काल अपनी आवाज उठाने का मौका देता है गौरतलब है संसद के नियम के अनुसार अगर किसी सांसद को कोई मुद्दे पर अपनी बात रखनी है तो उसे कम से कम दस दिन पहले सचिवालय को सूचना देना होती है लेकिन शुन्य काल में सांसदो को इस फोरमेलिटी करने की जरूरत नहीं होती है

शुन्य काल का नाम शुन्य काल कैसे पडा

संसद के जानकारों के अनुसार इस काल अवधि में जब सांसद अपने मुद्दे बिना पूर्व सूचना दिए उठाते है उसका नाम शुन्य काल पडा जब प्रश्न काल के समय समाप्त होता है और रेगुलर कार्यवाही शुरू होने के पहले का जो वक्त होता है उसे ही शुन्य काल कहा जाता है ऐसा लोकसभा में होता है
जबकि उच्च सदन राज्यसभा में शुन्य काल की परिभाषा थोडी अलग हो जाती है राज्यसभा में सुबह 11 बजे के बाद दस्तावेजी कार्यवाही के बाद सबसे पहले शुन्य काल आरंभ किया जाता है इसके बाद दोपहर 12 बजे प्रश्न काल शुरू किया जाता है राज्यसभा में यह नई व्यवस्था 2014 से लागू की गई है

इंडिया गठबंधन से अलग हुई आप पढने के लिए क्लिक करें

कितनी अवधि का होता है शुन्य काल

जानकारो के अनुसार शुन्य काल का शाब्दिक अर्थ होता है फैसले का समय महत्वपूर्ण क्षण संसद की परिभाषा में इस अवधि में सासंद जरूरी मु्द्दों पर सरकार का ध्यान दिलाता है शुन्य काल काफी अल्पसमय के लिए होता है जो की महज आधा घंटे का होता है ऐसे में सांसदो को अपने महत्वपूर्ण मुद्दे सभापित के समक्ष महज दो या तीन मिनट में बोलना पडता है हालांकि सभापति अपने विवेक से समय में इजाफा भी कर सकता है

संसद में शुन्य काल का क्या इतिहास

संसदीय मामलो के जानकारो के अनुसार संसद में शुन्य काल की परिपाटी 1962 से शुरू हुई उस समय के सांसद को लगा कि देश और विदेशी अहम मुद्दों को संसद में त्वरित उठाए जाने चाहिए उस समय सांसदो को प्रश्न काल के बाद सभापति से अनुमती लेकर अपने मुद्दो को संसद में रखने का मौका मिलता था
1962 में भारत चीन युध्द के समय शु्न्य काल की आवश्यकता महसूस की गई तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर ने संसद में शुन्य काल की व्यवस्था करने के अफसरों के निर्देश दिए

शुन्य काल की कार्यविधी

भारतीय संसद में शू्न्य काल में कोई मुद्दा उठाने के लिए सुबह 10 तक स्पीकर को लिखित सूचना देनी होती है सांसद व्दारा जो मु्द्दा उठाया जाना है उसकी कलियरीटी स्पीकर को बतानी होती है स्पीकर शुन्य काल में संसद के स्पीकर सभी सांसदों के व्दारा उठाए मुद्दो की स्कूटनी करके प्राथमिकता वाले 20 चुनिंदा मुद्दो को संसद में पूछने की अनुमित प्रदान करता है

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Parliamentजानिए भारत की संसद में शुन्य काल का क्या होता है मतलब ?

ओटीपी फ्रॉड से बचने के लिए यहां क्लिक करें

खबर क्या है ?

Parliamentभारतीय संसद में दो काल होते है पहला शुन्य काल और दूसरा प्रशन काल
शुन्य काल संसद के कामकाज का एहम हिस्सा होता है इस काल में सांसद पूर्व सूचना ज्वलंत मुद्दो को उठाने लिए मौका देता है प्रश्न काल के ठीक बाद शुन्य काल शुरू होता है ।

विस्तार से जानते है शुन्य काल को

जैसा कि हम बता चुके है शुन्य काल भारत की संसद का एहम हिस्सा होता है संविधान ने संसद में सांसदों को शुन्य काल के अनौपचारिक व्यवस्था है हालांकि की संसद की क्रियान्वयन नियमावली में इसका जिक्र नहीं है लेकिन सांसद को शुन्य काल अपनी आवाज उठाने का मौका देता है गौरतलब है संसद के नियम के अनुसार अगर किसी सांसद को कोई मुद्दे पर अपनी बात रखनी है तो उसे कम से कम दस दिन पहले सचिवालय को सूचना देना होती है लेकिन शुन्य काल में सांसदो को इस फोरमेलिटी करने की जरूरत नहीं होती है

शुन्य काल का नाम शुन्य काल कैसे पडा

संसद के जानकारों के अनुसार इस काल अवधि में जब सांसद अपने मुद्दे बिना पूर्व सूचना दिए उठाते है उसका नाम शुन्य काल पडा जब प्रश्न काल के समय समाप्त होता है और रेगुलर कार्यवाही शुरू होने के पहले का जो वक्त होता है उसे ही शुन्य काल कहा जाता है ऐसा लोकसभा में होता है
जबकि उच्च सदन राज्यसभा में शुन्य काल की परिभाषा थोडी अलग हो जाती है राज्यसभा में सुबह 11 बजे के बाद दस्तावेजी कार्यवाही के बाद सबसे पहले शुन्य काल आरंभ किया जाता है इसके बाद दोपहर 12 बजे प्रश्न काल शुरू किया जाता है राज्यसभा में यह नई व्यवस्था 2014 से लागू की गई है

इंडिया गठबंधन से अलग हुई आप पढने के लिए क्लिक करें

कितनी अवधि का होता है शुन्य काल

जानकारो के अनुसार शुन्य काल का शाब्दिक अर्थ होता है फैसले का समय महत्वपूर्ण क्षण संसद की परिभाषा में इस अवधि में सासंद जरूरी मु्द्दों पर सरकार का ध्यान दिलाता है शुन्य काल काफी अल्पसमय के लिए होता है जो की महज आधा घंटे का होता है ऐसे में सांसदो को अपने महत्वपूर्ण मुद्दे सभापित के समक्ष महज दो या तीन मिनट में बोलना पडता है हालांकि सभापति अपने विवेक से समय में इजाफा भी कर सकता है

संसद में शुन्य काल का क्या इतिहास

संसदीय मामलो के जानकारो के अनुसार संसद में शुन्य काल की परिपाटी 1962 से शुरू हुई उस समय के सांसद को लगा कि देश और विदेशी अहम मुद्दों को संसद में त्वरित उठाए जाने चाहिए उस समय सांसदो को प्रश्न काल के बाद सभापति से अनुमती लेकर अपने मुद्दो को संसद में रखने का मौका मिलता था
1962 में भारत चीन युध्द के समय शु्न्य काल की आवश्यकता महसूस की गई तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर ने संसद में शुन्य काल की व्यवस्था करने के अफसरों के निर्देश दिए

शुन्य काल की कार्यविधी

भारतीय संसद में शू्न्य काल में कोई मुद्दा उठाने के लिए सुबह 10 तक स्पीकर को लिखित सूचना देनी होती है सांसद व्दारा जो मु्द्दा उठाया जाना है उसकी कलियरीटी स्पीकर को बतानी होती है स्पीकर शुन्य काल में संसद के स्पीकर सभी सांसदों के व्दारा उठाए मुद्दो की स्कूटनी करके प्राथमिकता वाले 20 चुनिंदा मुद्दो को संसद में पूछने की अनुमित प्रदान करता है

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -
- Advertisement -

Latest Articles

Parliamentजानिए भारत की संसद में शुन्य काल का क्या होता है मतलब ?

ओटीपी फ्रॉड से बचने के लिए यहां क्लिक करें

खबर क्या है ?

Parliamentभारतीय संसद में दो काल होते है पहला शुन्य काल और दूसरा प्रशन काल
शुन्य काल संसद के कामकाज का एहम हिस्सा होता है इस काल में सांसद पूर्व सूचना ज्वलंत मुद्दो को उठाने लिए मौका देता है प्रश्न काल के ठीक बाद शुन्य काल शुरू होता है ।

विस्तार से जानते है शुन्य काल को

जैसा कि हम बता चुके है शुन्य काल भारत की संसद का एहम हिस्सा होता है संविधान ने संसद में सांसदों को शुन्य काल के अनौपचारिक व्यवस्था है हालांकि की संसद की क्रियान्वयन नियमावली में इसका जिक्र नहीं है लेकिन सांसद को शुन्य काल अपनी आवाज उठाने का मौका देता है गौरतलब है संसद के नियम के अनुसार अगर किसी सांसद को कोई मुद्दे पर अपनी बात रखनी है तो उसे कम से कम दस दिन पहले सचिवालय को सूचना देना होती है लेकिन शुन्य काल में सांसदो को इस फोरमेलिटी करने की जरूरत नहीं होती है

शुन्य काल का नाम शुन्य काल कैसे पडा

संसद के जानकारों के अनुसार इस काल अवधि में जब सांसद अपने मुद्दे बिना पूर्व सूचना दिए उठाते है उसका नाम शुन्य काल पडा जब प्रश्न काल के समय समाप्त होता है और रेगुलर कार्यवाही शुरू होने के पहले का जो वक्त होता है उसे ही शुन्य काल कहा जाता है ऐसा लोकसभा में होता है
जबकि उच्च सदन राज्यसभा में शुन्य काल की परिभाषा थोडी अलग हो जाती है राज्यसभा में सुबह 11 बजे के बाद दस्तावेजी कार्यवाही के बाद सबसे पहले शुन्य काल आरंभ किया जाता है इसके बाद दोपहर 12 बजे प्रश्न काल शुरू किया जाता है राज्यसभा में यह नई व्यवस्था 2014 से लागू की गई है

इंडिया गठबंधन से अलग हुई आप पढने के लिए क्लिक करें

कितनी अवधि का होता है शुन्य काल

जानकारो के अनुसार शुन्य काल का शाब्दिक अर्थ होता है फैसले का समय महत्वपूर्ण क्षण संसद की परिभाषा में इस अवधि में सासंद जरूरी मु्द्दों पर सरकार का ध्यान दिलाता है शुन्य काल काफी अल्पसमय के लिए होता है जो की महज आधा घंटे का होता है ऐसे में सांसदो को अपने महत्वपूर्ण मुद्दे सभापित के समक्ष महज दो या तीन मिनट में बोलना पडता है हालांकि सभापति अपने विवेक से समय में इजाफा भी कर सकता है

संसद में शुन्य काल का क्या इतिहास

संसदीय मामलो के जानकारो के अनुसार संसद में शुन्य काल की परिपाटी 1962 से शुरू हुई उस समय के सांसद को लगा कि देश और विदेशी अहम मुद्दों को संसद में त्वरित उठाए जाने चाहिए उस समय सांसदो को प्रश्न काल के बाद सभापति से अनुमती लेकर अपने मुद्दो को संसद में रखने का मौका मिलता था
1962 में भारत चीन युध्द के समय शु्न्य काल की आवश्यकता महसूस की गई तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर ने संसद में शुन्य काल की व्यवस्था करने के अफसरों के निर्देश दिए

शुन्य काल की कार्यविधी

भारतीय संसद में शू्न्य काल में कोई मुद्दा उठाने के लिए सुबह 10 तक स्पीकर को लिखित सूचना देनी होती है सांसद व्दारा जो मु्द्दा उठाया जाना है उसकी कलियरीटी स्पीकर को बतानी होती है स्पीकर शुन्य काल में संसद के स्पीकर सभी सांसदों के व्दारा उठाए मुद्दो की स्कूटनी करके प्राथमिकता वाले 20 चुनिंदा मुद्दो को संसद में पूछने की अनुमित प्रदान करता है

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Parliamentजानिए भारत की संसद में शुन्य काल का क्या होता है मतलब ?

ओटीपी फ्रॉड से बचने के लिए यहां क्लिक करें

खबर क्या है ?

Parliamentभारतीय संसद में दो काल होते है पहला शुन्य काल और दूसरा प्रशन काल
शुन्य काल संसद के कामकाज का एहम हिस्सा होता है इस काल में सांसद पूर्व सूचना ज्वलंत मुद्दो को उठाने लिए मौका देता है प्रश्न काल के ठीक बाद शुन्य काल शुरू होता है ।

विस्तार से जानते है शुन्य काल को

जैसा कि हम बता चुके है शुन्य काल भारत की संसद का एहम हिस्सा होता है संविधान ने संसद में सांसदों को शुन्य काल के अनौपचारिक व्यवस्था है हालांकि की संसद की क्रियान्वयन नियमावली में इसका जिक्र नहीं है लेकिन सांसद को शुन्य काल अपनी आवाज उठाने का मौका देता है गौरतलब है संसद के नियम के अनुसार अगर किसी सांसद को कोई मुद्दे पर अपनी बात रखनी है तो उसे कम से कम दस दिन पहले सचिवालय को सूचना देना होती है लेकिन शुन्य काल में सांसदो को इस फोरमेलिटी करने की जरूरत नहीं होती है

शुन्य काल का नाम शुन्य काल कैसे पडा

संसद के जानकारों के अनुसार इस काल अवधि में जब सांसद अपने मुद्दे बिना पूर्व सूचना दिए उठाते है उसका नाम शुन्य काल पडा जब प्रश्न काल के समय समाप्त होता है और रेगुलर कार्यवाही शुरू होने के पहले का जो वक्त होता है उसे ही शुन्य काल कहा जाता है ऐसा लोकसभा में होता है
जबकि उच्च सदन राज्यसभा में शुन्य काल की परिभाषा थोडी अलग हो जाती है राज्यसभा में सुबह 11 बजे के बाद दस्तावेजी कार्यवाही के बाद सबसे पहले शुन्य काल आरंभ किया जाता है इसके बाद दोपहर 12 बजे प्रश्न काल शुरू किया जाता है राज्यसभा में यह नई व्यवस्था 2014 से लागू की गई है

इंडिया गठबंधन से अलग हुई आप पढने के लिए क्लिक करें

कितनी अवधि का होता है शुन्य काल

जानकारो के अनुसार शुन्य काल का शाब्दिक अर्थ होता है फैसले का समय महत्वपूर्ण क्षण संसद की परिभाषा में इस अवधि में सासंद जरूरी मु्द्दों पर सरकार का ध्यान दिलाता है शुन्य काल काफी अल्पसमय के लिए होता है जो की महज आधा घंटे का होता है ऐसे में सांसदो को अपने महत्वपूर्ण मुद्दे सभापित के समक्ष महज दो या तीन मिनट में बोलना पडता है हालांकि सभापति अपने विवेक से समय में इजाफा भी कर सकता है

संसद में शुन्य काल का क्या इतिहास

संसदीय मामलो के जानकारो के अनुसार संसद में शुन्य काल की परिपाटी 1962 से शुरू हुई उस समय के सांसद को लगा कि देश और विदेशी अहम मुद्दों को संसद में त्वरित उठाए जाने चाहिए उस समय सांसदो को प्रश्न काल के बाद सभापति से अनुमती लेकर अपने मुद्दो को संसद में रखने का मौका मिलता था
1962 में भारत चीन युध्द के समय शु्न्य काल की आवश्यकता महसूस की गई तत्कालीन लोकसभा के स्पीकर ने संसद में शुन्य काल की व्यवस्था करने के अफसरों के निर्देश दिए

शुन्य काल की कार्यविधी

भारतीय संसद में शू्न्य काल में कोई मुद्दा उठाने के लिए सुबह 10 तक स्पीकर को लिखित सूचना देनी होती है सांसद व्दारा जो मु्द्दा उठाया जाना है उसकी कलियरीटी स्पीकर को बतानी होती है स्पीकर शुन्य काल में संसद के स्पीकर सभी सांसदों के व्दारा उठाए मुद्दो की स्कूटनी करके प्राथमिकता वाले 20 चुनिंदा मुद्दो को संसद में पूछने की अनुमित प्रदान करता है

 

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles