Burhanpur media Newsबुरहानपुर (शारिक अख्तर दुररानी) पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का पत्रकारिता में योगदान भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। वे न केवल एक कुशल पत्रकार थे, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने लेखन के माध्यम से जनजागृति पैदा करने वाले साहित्यकार और समाज सुधारक भी थे। उनकी पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य समाज को जागरूक करना, अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करना था। उन्होंने ‘कर्मवीर’, ‘प्रताप’ और ‘प्रभा’ जैसे समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के माध्यम से अपने विचारों को जन-जन तक पहुँचाया। उनकी लेखनी में सत्य, निष्ठा और निर्भीकता की झलक स्पष्ट दिखाई देती है, जो आज भी पत्रकारिता के लिए एक आदर्श मानी जा सकती है।
वर्तमान में प्रिंट और ईलेक्ट्रॉनिक के बाद डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया और तेजी से बदलते पत्रकारिता का स्वरूप एआई पत्रकारिता ने भी ले लिया है जो काफी तेज तर्रार मीडिया का रोल अदा कर रहा है लेकिन इतना परिवर्तन के बाद भी माखनलाल चतुर्वेदी की पत्रकारिता का ढंग कई मायनों में आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक और वर्तमान की नई पीढी के पत्रकारो के लिए एक मार्गदर्शिका है अगर वर्तमान के पत्रकार वह चाहे किसी भी माध्यम में हो वर्तमान में मीडिया के क्षेत्र में जितनी भी चुनौतिया है माखनलाल चतुर्वेदी जी के पत्रकारिता के ढंग को अपना कर इन तमाम चुनौतियो का सामना आसानी से कर सकता है
1 सच और ईमानदारी का महत्व
माखनलाल जी ने हमेशा सच को प्राथमिककता दी और पत्रकारिता को जनसेवा का माध्यम माना वर्तमान दौर में मीडिया व्यवसाय, स्वार्थ सिध्दि, उपकृत करने का माध्यम बन गया है या यह कहे तथाकथित मीडिया में आए लोगो ने इसे बना लिया है इसके अलावा वर्तमान समय में जहां फेक न्यूज और सनसनीखेज खबरो का बोलबाला है लेकिन अगर हम माखनलाल जी के तरीके का अनुसरण करें तो यह हमे सच और विश्वसनीयता की तरफ लौटने की प्रेरणा देती है कुल मिलाकर अगर आप सच और विश्वसीय रिपोर्टिंग करेंगे तो आपको सेल्फ सेटिसफेक्शन के साथ साथ एक तरह का आत्मसंतोष मिलेगा काम करने की नई ऊर्जा मिलेगी समाज भी आप को हाथो हाथ लेगा
2 निष्पक्षता और निर्भिकता
माखनलाल जी की पत्रकारिता में औपनिवेशक शासन के खिलाफ निर्भिकता थी वर्तमान समय में जहां मीडिया में कार्पोरेट और राजनीतिक दबाव व दखल बढ रहा है उनकी यह निर्भिकता व निष्पक्षता पत्रकारों के लिए एक संजीवनी का काम करती है माखनलाल जी बिना किसी दबाव के सच के सामने लाया करते थे पहले तो उन्हें ब्रिटिश सरकार की आलोचना का शिकार होना पडता था लेकिन उनके सच के साथ जनभावना और जनसमुदाय के समर्थन को देख ब्रिटिश सरकार भी हथियार डाल दिया करती थी । वर्तमान में अगर कोई पत्रकार निष्पक्ष व निर्भिक काम करेंगा तो सबसे पहले तो उसे अपनी ही बिरादरी यानी पत्रकारों की आलोचना का सामना करना पडेगा उसके बाद आप उस पर अडिग रहे तो यह आलोचना प्रशंसा में परिवर्तित हो जाएगी
3 जनजागरण व समाज सुधार
माखनलाल जी ने अपनी लेखनी से समाज में शिक्षा एकता और स्वाभिमान जैसे मुल्यों को बढावा दिया आज के मीडिया को केवल सूचना देने तक सीमित न रहकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में काम करना चाहिए मैने अपने देवास काम करने के दौरान पत्रिका समाचार पत्र के संपादक गुलाब कोठारी से यह सवाल किया था कि आम जनता अपनी समस्याओ अधिकारो के लिए जागरूक नहीं है तो उनका मुझे यह जवाब मिला था कि जनता को अपने अधिकारों व हक के लिए जागरूक करने का दायित्व मीडिया का है और मीडिया ने समाज को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना चाहिए माखनलाल जी की लेखनी मे वह ताकत थी जिससे समाज में जागरूकता फैलती थी बशर्ते हम इसे उत्तरदायिवत समझ कर काम करें
4 माखनलाल जी की पत्रकारिता के ढंग की प्रासंगिता
माखन लाल जी के जीवन और उनके पत्रकारिता के ढंग का विस्तुत अध्ययन करने के बाद कोई भी पत्रकार इस निश्चय पर जरूर पहुंचेगा कि वर्तमान के इस डिजिटल सोशल और या यह कहे एआई मीडिया के युग में भी माखनलाल जी की पत्रकारिता का ढंग प्रासंगिक है
आज के मीडिया में तेज गति और संक्षिप्ता पर आधारित है जबकि माखनलालजी की पत्रकारिता गहन चिंतन और साहित्यिक शैली से युक्त थी हालांकि आज के इस डिजिटल युग में उनकी शैली को अपनाना थोडा मुश्किल हो सकता है लेकिन नामुमकिन नहीं क्योंकि आज ब्रेकिंग न्यूज का जमाना है हर चैनल सबसे पहले अपने पाठको को खबरे परोसने की होड में लगा हुआ है और आज के युग में जनता भी त्वरित और संक्षिप्त जानकारी पाने की आदि हो गई है जिसे हम ब्रेकिंग न्यूज का जमाना बोलते है इसके बावजूद भी समाज का एक बहुत बडा वर्ग ऐसा है अगर उनके पास माखनलाल जी के अपनाए गए तरीके से पत्रकारिता करते हुए हम हमारी सामग्री पहुंचाए तो वह उसे काफी पसंद करेंगे कुल मिलाकर माखन लाल जी के पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों को आधुनिक तकनीक के साथ संतुलित कर पत्रकारिता को सशक्त बनाया जा सकता है।
मेरा सभी वरिष्ठ और नई पीढी के पत्रकारों से अनुरोध है माखनलालजी की पत्रकारिता आज भी इस लिए प्रासंगिक है क्योंकि यह नैतिकता , साहस और समाजके प्रति जिम्मेदारी पर आधारित थी अगर हम ईमानदारी से माखनलाल जी के पत्रकारिता के ढंग को अपने रोजमर्रा की पत्रकारिता में आत्मसात करे तो यह न केवल सूचना का साधन बनेगा बल्कि समाज को बेहतर बनाने में एक शक्तिशाली औजार भी बन सकता है उनकी कालजायी पंक्तिया जैसे पुष्प की अभिलाषा में व्यक्त आज भी हमें यह याद दिलाती है कि सेवा और समर्पण , आज भी हमें यह याद दिलाती हैं कि सेवा और समर्पण ही सच्चे पत्रकार का धर्म है