spot_imgspot_imgspot_img
Friday, August 1, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Burhānpur
broken clouds
24 ° C
24 °
24 °
90 %
3.1kmh
74 %
Fri
31 °
Sat
32 °
Sun
33 °
Mon
32 °
Tue
33 °

Ajab Gajab Mp :बुरहानपुर के ‘मूंछ वाले दादा’: परंपरा और सम्मान की जीती-जागती मिसाल

Ajab Gajab Mpबुरहानपुर। मध्य प्रदेश के झिरपांजरिया गांव में रहने वाले 75 वर्षीय अंतर सिंह आर्य अपनी दो फीट लंबी मूंछों के लिए पूरे निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। गांव के लोग उन्हें ‘मूंछ वाले दादा’ और ‘महाराज’ कहकर सम्मान देते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि परंपरा, आत्मसम्मान और संस्कृति का प्रतीक है। जीवन में सिर्फ एक बार मूंछें कटवाने के बाद, उन्होंने दोबारा कभी इसे नहीं कटाया। वे अपनी विरासत को जीवित रखने के लिए संकल्पित हैं।

मूंछों से जुड़ा सम्मान और परंपरा

अंतर सिंह आर्य का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही **गांव के बुजुर्गों** को देखकर लंबी मूंछें रखने का सपना देखा था। तब से उन्होंने ठान लिया कि उनकी भी शानदार मूंछें होंगी। आज उनकी यह **अनोखी पहचान** उन्हें पूरे क्षेत्र में सम्मान दिलाती है। गांव के लोग उन्हें महाराज की तरह देखते हैं और उनकी मूंछों को वीर योद्धाओं की छवि से जोड़ते हैं।

झिरपांजरिया गांव के लोग मानते हैं कि मूंछें **सम्मान और शक्ति** का प्रतीक होती हैं। उनकी मूंछें **राजपूताना और मराठा संस्कृति** की झलक देती हैं। यही कारण है कि गांव के युवा भी उनसे प्रेरणा लेते हैं और **संस्कारों और परंपरा** को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

कैसे रखते हैं मूंछों की देखभाल?

अंतर सिंह आर्य अपनी मूंछों की खास देखभाल करते हैं। वे **प्राकृतिक तेलों और देसी नुस्खों** का उपयोग करते हैं, ताकि उनकी मूंछें मजबूत और आकर्षक बनी रहें। उनके लिए यह सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि **गर्व और परंपरा को जीवंत रखने का एक तरीका** है।

वे कहते हैं, **”मूंछें सिर्फ बालों का गुच्छा नहीं, यह एक पहचान, सम्मान और आत्मगौरव की निशानी है।”** उनके अनुसार, समाज में पहचान बनाने के लिए सिर्फ बाहरी दिखावा ही नहीं, बल्कि **संस्कार और मूल्यों** का होना भी जरूरी है।

गांव वालों के लिए गर्व का विषय

गांव वालों को गर्व है कि उनके बीच **‘मूंछ वाले दादा’** जैसे व्यक्तित्व मौजूद हैं। वे कहते हैं, हमारे दादा पूरे जिले की शान हैं!” दूर-दूर से लोग उनकी मूंछों को देखने और उनके विचार सुनने आते हैं।

उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि परंपरा और संस्कारों का सम्मान ही असली पहचान है। नई पीढ़ी के लिए वे प्रेरणा हैं कि असली सम्मान बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि संस्कार, संस्कृति और आत्मगौरव से मिलता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Ajab Gajab Mp :बुरहानपुर के ‘मूंछ वाले दादा’: परंपरा और सम्मान की जीती-जागती मिसाल

Ajab Gajab Mpबुरहानपुर। मध्य प्रदेश के झिरपांजरिया गांव में रहने वाले 75 वर्षीय अंतर सिंह आर्य अपनी दो फीट लंबी मूंछों के लिए पूरे निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। गांव के लोग उन्हें ‘मूंछ वाले दादा’ और ‘महाराज’ कहकर सम्मान देते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि परंपरा, आत्मसम्मान और संस्कृति का प्रतीक है। जीवन में सिर्फ एक बार मूंछें कटवाने के बाद, उन्होंने दोबारा कभी इसे नहीं कटाया। वे अपनी विरासत को जीवित रखने के लिए संकल्पित हैं।

मूंछों से जुड़ा सम्मान और परंपरा

अंतर सिंह आर्य का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही **गांव के बुजुर्गों** को देखकर लंबी मूंछें रखने का सपना देखा था। तब से उन्होंने ठान लिया कि उनकी भी शानदार मूंछें होंगी। आज उनकी यह **अनोखी पहचान** उन्हें पूरे क्षेत्र में सम्मान दिलाती है। गांव के लोग उन्हें महाराज की तरह देखते हैं और उनकी मूंछों को वीर योद्धाओं की छवि से जोड़ते हैं।

झिरपांजरिया गांव के लोग मानते हैं कि मूंछें **सम्मान और शक्ति** का प्रतीक होती हैं। उनकी मूंछें **राजपूताना और मराठा संस्कृति** की झलक देती हैं। यही कारण है कि गांव के युवा भी उनसे प्रेरणा लेते हैं और **संस्कारों और परंपरा** को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

कैसे रखते हैं मूंछों की देखभाल?

अंतर सिंह आर्य अपनी मूंछों की खास देखभाल करते हैं। वे **प्राकृतिक तेलों और देसी नुस्खों** का उपयोग करते हैं, ताकि उनकी मूंछें मजबूत और आकर्षक बनी रहें। उनके लिए यह सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि **गर्व और परंपरा को जीवंत रखने का एक तरीका** है।

वे कहते हैं, **”मूंछें सिर्फ बालों का गुच्छा नहीं, यह एक पहचान, सम्मान और आत्मगौरव की निशानी है।”** उनके अनुसार, समाज में पहचान बनाने के लिए सिर्फ बाहरी दिखावा ही नहीं, बल्कि **संस्कार और मूल्यों** का होना भी जरूरी है।

गांव वालों के लिए गर्व का विषय

गांव वालों को गर्व है कि उनके बीच **‘मूंछ वाले दादा’** जैसे व्यक्तित्व मौजूद हैं। वे कहते हैं, हमारे दादा पूरे जिले की शान हैं!” दूर-दूर से लोग उनकी मूंछों को देखने और उनके विचार सुनने आते हैं।

उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि परंपरा और संस्कारों का सम्मान ही असली पहचान है। नई पीढ़ी के लिए वे प्रेरणा हैं कि असली सम्मान बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि संस्कार, संस्कृति और आत्मगौरव से मिलता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -
- Advertisement -

Latest Articles

Ajab Gajab Mp :बुरहानपुर के ‘मूंछ वाले दादा’: परंपरा और सम्मान की जीती-जागती मिसाल

Ajab Gajab Mpबुरहानपुर। मध्य प्रदेश के झिरपांजरिया गांव में रहने वाले 75 वर्षीय अंतर सिंह आर्य अपनी दो फीट लंबी मूंछों के लिए पूरे निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। गांव के लोग उन्हें ‘मूंछ वाले दादा’ और ‘महाराज’ कहकर सम्मान देते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि परंपरा, आत्मसम्मान और संस्कृति का प्रतीक है। जीवन में सिर्फ एक बार मूंछें कटवाने के बाद, उन्होंने दोबारा कभी इसे नहीं कटाया। वे अपनी विरासत को जीवित रखने के लिए संकल्पित हैं।

मूंछों से जुड़ा सम्मान और परंपरा

अंतर सिंह आर्य का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही **गांव के बुजुर्गों** को देखकर लंबी मूंछें रखने का सपना देखा था। तब से उन्होंने ठान लिया कि उनकी भी शानदार मूंछें होंगी। आज उनकी यह **अनोखी पहचान** उन्हें पूरे क्षेत्र में सम्मान दिलाती है। गांव के लोग उन्हें महाराज की तरह देखते हैं और उनकी मूंछों को वीर योद्धाओं की छवि से जोड़ते हैं।

झिरपांजरिया गांव के लोग मानते हैं कि मूंछें **सम्मान और शक्ति** का प्रतीक होती हैं। उनकी मूंछें **राजपूताना और मराठा संस्कृति** की झलक देती हैं। यही कारण है कि गांव के युवा भी उनसे प्रेरणा लेते हैं और **संस्कारों और परंपरा** को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

कैसे रखते हैं मूंछों की देखभाल?

अंतर सिंह आर्य अपनी मूंछों की खास देखभाल करते हैं। वे **प्राकृतिक तेलों और देसी नुस्खों** का उपयोग करते हैं, ताकि उनकी मूंछें मजबूत और आकर्षक बनी रहें। उनके लिए यह सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि **गर्व और परंपरा को जीवंत रखने का एक तरीका** है।

वे कहते हैं, **”मूंछें सिर्फ बालों का गुच्छा नहीं, यह एक पहचान, सम्मान और आत्मगौरव की निशानी है।”** उनके अनुसार, समाज में पहचान बनाने के लिए सिर्फ बाहरी दिखावा ही नहीं, बल्कि **संस्कार और मूल्यों** का होना भी जरूरी है।

गांव वालों के लिए गर्व का विषय

गांव वालों को गर्व है कि उनके बीच **‘मूंछ वाले दादा’** जैसे व्यक्तित्व मौजूद हैं। वे कहते हैं, हमारे दादा पूरे जिले की शान हैं!” दूर-दूर से लोग उनकी मूंछों को देखने और उनके विचार सुनने आते हैं।

उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि परंपरा और संस्कारों का सम्मान ही असली पहचान है। नई पीढ़ी के लिए वे प्रेरणा हैं कि असली सम्मान बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि संस्कार, संस्कृति और आत्मगौरव से मिलता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Ajab Gajab Mp :बुरहानपुर के ‘मूंछ वाले दादा’: परंपरा और सम्मान की जीती-जागती मिसाल

Ajab Gajab Mpबुरहानपुर। मध्य प्रदेश के झिरपांजरिया गांव में रहने वाले 75 वर्षीय अंतर सिंह आर्य अपनी दो फीट लंबी मूंछों के लिए पूरे निमाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। गांव के लोग उन्हें ‘मूंछ वाले दादा’ और ‘महाराज’ कहकर सम्मान देते हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि परंपरा, आत्मसम्मान और संस्कृति का प्रतीक है। जीवन में सिर्फ एक बार मूंछें कटवाने के बाद, उन्होंने दोबारा कभी इसे नहीं कटाया। वे अपनी विरासत को जीवित रखने के लिए संकल्पित हैं।

मूंछों से जुड़ा सम्मान और परंपरा

अंतर सिंह आर्य का कहना है कि उन्होंने बचपन में ही **गांव के बुजुर्गों** को देखकर लंबी मूंछें रखने का सपना देखा था। तब से उन्होंने ठान लिया कि उनकी भी शानदार मूंछें होंगी। आज उनकी यह **अनोखी पहचान** उन्हें पूरे क्षेत्र में सम्मान दिलाती है। गांव के लोग उन्हें महाराज की तरह देखते हैं और उनकी मूंछों को वीर योद्धाओं की छवि से जोड़ते हैं।

झिरपांजरिया गांव के लोग मानते हैं कि मूंछें **सम्मान और शक्ति** का प्रतीक होती हैं। उनकी मूंछें **राजपूताना और मराठा संस्कृति** की झलक देती हैं। यही कारण है कि गांव के युवा भी उनसे प्रेरणा लेते हैं और **संस्कारों और परंपरा** को आगे बढ़ाने का संकल्प लेते हैं।

कैसे रखते हैं मूंछों की देखभाल?

अंतर सिंह आर्य अपनी मूंछों की खास देखभाल करते हैं। वे **प्राकृतिक तेलों और देसी नुस्खों** का उपयोग करते हैं, ताकि उनकी मूंछें मजबूत और आकर्षक बनी रहें। उनके लिए यह सिर्फ दिखावा नहीं, बल्कि **गर्व और परंपरा को जीवंत रखने का एक तरीका** है।

वे कहते हैं, **”मूंछें सिर्फ बालों का गुच्छा नहीं, यह एक पहचान, सम्मान और आत्मगौरव की निशानी है।”** उनके अनुसार, समाज में पहचान बनाने के लिए सिर्फ बाहरी दिखावा ही नहीं, बल्कि **संस्कार और मूल्यों** का होना भी जरूरी है।

गांव वालों के लिए गर्व का विषय

गांव वालों को गर्व है कि उनके बीच **‘मूंछ वाले दादा’** जैसे व्यक्तित्व मौजूद हैं। वे कहते हैं, हमारे दादा पूरे जिले की शान हैं!” दूर-दूर से लोग उनकी मूंछों को देखने और उनके विचार सुनने आते हैं।

उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि परंपरा और संस्कारों का सम्मान ही असली पहचान है। नई पीढ़ी के लिए वे प्रेरणा हैं कि असली सम्मान बाहरी दिखावे से नहीं, बल्कि संस्कार, संस्कृति और आत्मगौरव से मिलता है।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles