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Friday, June 13, 2025
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Monkey Pox : बुरहानपुर में स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स रोग के संबंध में एडवायजरी जारी की

 

रोकथाम व नियंत्रण के लिए दिये आवश्यक दिशा-निर्देश
Monkey Poxबुरहानपुर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स बीमारी को लोक स्वास्थ्य के हित में विश्व स्तर पर चिंताजनक घोषित किया है। मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु निर्देश दिये है।बुरहानपुर में भी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश सिसोदिया ने मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव हेतु सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिले के समस्त मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों, नोडल अधिकारी शहरी क्षेत्र बुरहानपुर को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया है। निर्देशों में कहा गया है कि, मंकीपॉक्स से बचाव के लिए शासन स्तर से जारी गाईडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के साथ ही आवश्यक प्रबंधन करना सुनिश्चित करें। सीएमएचओ डॉ राजेश सिसौदिया ने बताया कि, बाहर से आने वाले पेसेंजर और अस्पताल में आने वाले मरीजों की कड़ी निगरानी की जायेगी।
प्राप्त गाईडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए सैंपल एनआईवी पूणे प्रयोगशाला भेजे जाएंगे, साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश भी दिये गये है।
जिला महामारी विशेषज्ञ श्री रविंद्र सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि, यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते दिखाई देने पर यह पता चलता है कि, यह रोग एक से दो दिन पहले फैला है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रहता है।

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रोकथाम व नियंत्रण के लिए दिये आवश्यक दिशा-निर्देश
Monkey Poxबुरहानपुर हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मंकीपॉक्स बीमारी को लोक स्वास्थ्य के हित में विश्व स्तर पर चिंताजनक घोषित किया है। मध्य प्रदेश में मंकी पॉक्स को लेकर लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने एडवाइजरी जारी करते हुए मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव के लिए आवश्यक कदम उठाने हेतु निर्देश दिये है।बुरहानपुर में भी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश सिसोदिया ने मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव हेतु सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिले के समस्त मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों, नोडल अधिकारी शहरी क्षेत्र बुरहानपुर को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया है। निर्देशों में कहा गया है कि, मंकीपॉक्स से बचाव के लिए शासन स्तर से जारी गाईडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के साथ ही आवश्यक प्रबंधन करना सुनिश्चित करें। सीएमएचओ डॉ राजेश सिसौदिया ने बताया कि, बाहर से आने वाले पेसेंजर और अस्पताल में आने वाले मरीजों की कड़ी निगरानी की जायेगी।
प्राप्त गाईडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए सैंपल एनआईवी पूणे प्रयोगशाला भेजे जाएंगे, साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश भी दिये गये है।
जिला महामारी विशेषज्ञ श्री रविंद्र सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि, यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते दिखाई देने पर यह पता चलता है कि, यह रोग एक से दो दिन पहले फैला है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रहता है।

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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश सिसोदिया ने मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव हेतु सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिले के समस्त मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों, नोडल अधिकारी शहरी क्षेत्र बुरहानपुर को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया है। निर्देशों में कहा गया है कि, मंकीपॉक्स से बचाव के लिए शासन स्तर से जारी गाईडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के साथ ही आवश्यक प्रबंधन करना सुनिश्चित करें। सीएमएचओ डॉ राजेश सिसौदिया ने बताया कि, बाहर से आने वाले पेसेंजर और अस्पताल में आने वाले मरीजों की कड़ी निगरानी की जायेगी।
प्राप्त गाईडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए सैंपल एनआईवी पूणे प्रयोगशाला भेजे जाएंगे, साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश भी दिये गये है।
जिला महामारी विशेषज्ञ श्री रविंद्र सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि, यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते दिखाई देने पर यह पता चलता है कि, यह रोग एक से दो दिन पहले फैला है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रहता है।

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मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राजेश सिसोदिया ने मंकीपॉक्स के नियंत्रण और उससे बचाव हेतु सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक, जिले के समस्त मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारियों, नोडल अधिकारी शहरी क्षेत्र बुरहानपुर को आवश्यक कार्यवाही हेतु निर्देशित किया है। निर्देशों में कहा गया है कि, मंकीपॉक्स से बचाव के लिए शासन स्तर से जारी गाईडलाइन का पालन सुनिश्चित करने के साथ ही आवश्यक प्रबंधन करना सुनिश्चित करें। सीएमएचओ डॉ राजेश सिसौदिया ने बताया कि, बाहर से आने वाले पेसेंजर और अस्पताल में आने वाले मरीजों की कड़ी निगरानी की जायेगी।
प्राप्त गाईडलाइन के अनुसार सभी संदिग्ध प्रकरणों को चिन्हित कर स्वास्थ्य सुविधाओं में अलग रखा जाएगा। उपचार करने वाले चिकित्सक जब आइसोलेशन समाप्त करने का निर्देश देंगे तब ही मरीजों को डिस्चार्ज किया जाएगा। सभी संभावित मरीज जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे। संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस टेस्ट के लिए सैंपल एनआईवी पूणे प्रयोगशाला भेजे जाएंगे, साथ ही मंकीपॉक्स का पॉजिटिव केस पाए जाने पर कांटेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आए व्यक्तियों की पहचान किए जाने के निर्देश भी दिये गये है।
जिला महामारी विशेषज्ञ श्री रविंद्र सिंह राजपूत ने जानकारी दी कि, यह वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है। वायरस कटी-फटी त्वचा, रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट या म्यूकस मेम्ब्रेन (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है। संक्रमित पशु या वन्य पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क (जैसे दूषित बिस्तर) के माध्यम से हो सकता है। उन्होंने बताया कि मंकीपॉक्स का इनक्यूबेशन पीरियड आमतौर पर सात से 14 दिनों का होता है, लेकिन यह पांच से 21 दिनों तक हो सकता है और इस अवधि के दौरान व्यक्ति आमतौर पर संक्रामक नहीं होता है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते दिखाई देने पर यह पता चलता है कि, यह रोग एक से दो दिन पहले फैला है। सभी चकत्तों से जब तक पपड़ी गिर न जाए रोगी तब तक संक्रामक बना रहता है।

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