comunal harmonyबुरहानपुर। शहर का अति प्राचीन 190 वर्ष पुराना स्वामीनारायण मंदिर बना गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक। इस मंदिर में राजकोट के बोहरा समाज के अब्दुल्ला भाई अपने परिवार को लेकर पिछले 20 वर्षों से निरन्तर बुरहानपुर पहुंच रहे हैं और दरगाह हकीमी में दर्शन के साथ-साथ स्वामीनारायण मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य मानते हैं। उनका अपना कहना है कि भगवान लक्ष्मी नारायण देव साक्षात है। जो मन की इच्छाओं को जानकर ही पूर्ण कर देते हैं। वह बोहरा समाज के होने के बावजूद हिंदू धर्म और स्वामी एवं संप्रदाय के सारे नियम धर्मों का पालन भी करते हैं। यही नहीं वह आरती और पूजन में भी शामिल होकर संप्रदाय के ही भक्तों के समान सारे नियम का पालन कर चरण झूला आरती गाना और जय स्वामीनारायण बोलना उनकी संस्कृति ही नहीं बल्कि यह गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक है।
कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
निज मंदिर में विराजित लक्ष्मी नारायण देव के दरबार में परमपूज्य शास्त्री राजेंद्र प्रसाद जी ने 10 वे दिन की कथा में व्यासपीठ से कहा कि भगवान के चरित्र अतिसुखदायक है। कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान की कथा सुनने और सेवा करने से हम पर भगवान की कृपा मिलती है, जो भगवान स्वामिनारायण हमे सौभाग्य से मिले है। हमारा जीवन धन्य हो गया है। यदि हम पर भगवान की कृपा हो जाये तो हम कभी भी परास्त नही हो सकते।
अधिक मास में हरि नवमी, एकादशी, पौर्णिमा, एकादशी, अमावस्या इन दिनों में व्रत, तप, जप करने से अधिक से अधिक फल मिलता है। हमें इसी जनम में ही चारो परमार्थ कर लेना चाहिए। धर्म, कर्म, काम और मोक्ष करना चाहिए।
किसी का भी अपमान नही चाहिए और भूलकर भी भगवान के भक्त का अपमान तो करना ही नही चाहिए। भगवान भी उसे क्षमा नही करते। मंदिर की धूल भी यदि मिले तो मस्तक पर लगाना चाहिए क्योंकि यही माध्यम हमारे जीवन को सफल कर देते है। मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि हरि नवमी के चलते विशेष श्रंगार आरती का लाभ सभी हरि भक्तो ने लिया।
स्वामीनारायण मंदिर में फल महोत्सव
आज सिलमपुरा स्थित स्वामीनारायण मंदिर में फलमहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में मौसमी फल आम, आलूबुखारा, जाम अनार,पपीता, केला,नासपाती, बबुषा जैसे फलों से भगवान को भोग लगाया जावेगा, इस फल महोत्सव के यजमान प्रदेश मंडी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोषसिंह दिक्षित, महंत कोठारी पीपी स्वामी और शास्त्री राजेंद्र प्रसाद दास जी के प्रेरणा से किया जा रहा है । इस अवसर पर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तथा दिल्ली आदि प्रदेशों से भक्त पधार रहे हैं, जो इस फल महोत्सव का दर्शन करेंगे। कहते हैं कि अधिक मास में फल का दान अधिक फलीभूत होता है।
comunal harmony:बुरहानपुर के स्वामीनारायण मंदिर में दिखी गंगा जमुनी संस्कृति
comunal harmony:बुरहानपुर के स्वामीनारायण मंदिर में दिखी गंगा जमुनी संस्कृति
comunal harmonyबुरहानपुर। शहर का अति प्राचीन 190 वर्ष पुराना स्वामीनारायण मंदिर बना गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक। इस मंदिर में राजकोट के बोहरा समाज के अब्दुल्ला भाई अपने परिवार को लेकर पिछले 20 वर्षों से निरन्तर बुरहानपुर पहुंच रहे हैं और दरगाह हकीमी में दर्शन के साथ-साथ स्वामीनारायण मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य मानते हैं। उनका अपना कहना है कि भगवान लक्ष्मी नारायण देव साक्षात है। जो मन की इच्छाओं को जानकर ही पूर्ण कर देते हैं। वह बोहरा समाज के होने के बावजूद हिंदू धर्म और स्वामी एवं संप्रदाय के सारे नियम धर्मों का पालन भी करते हैं। यही नहीं वह आरती और पूजन में भी शामिल होकर संप्रदाय के ही भक्तों के समान सारे नियम का पालन कर चरण झूला आरती गाना और जय स्वामीनारायण बोलना उनकी संस्कृति ही नहीं बल्कि यह गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक है।
कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
निज मंदिर में विराजित लक्ष्मी नारायण देव के दरबार में परमपूज्य शास्त्री राजेंद्र प्रसाद जी ने 10 वे दिन की कथा में व्यासपीठ से कहा कि भगवान के चरित्र अतिसुखदायक है। कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान की कथा सुनने और सेवा करने से हम पर भगवान की कृपा मिलती है, जो भगवान स्वामिनारायण हमे सौभाग्य से मिले है। हमारा जीवन धन्य हो गया है। यदि हम पर भगवान की कृपा हो जाये तो हम कभी भी परास्त नही हो सकते।
अधिक मास में हरि नवमी, एकादशी, पौर्णिमा, एकादशी, अमावस्या इन दिनों में व्रत, तप, जप करने से अधिक से अधिक फल मिलता है। हमें इसी जनम में ही चारो परमार्थ कर लेना चाहिए। धर्म, कर्म, काम और मोक्ष करना चाहिए।
किसी का भी अपमान नही चाहिए और भूलकर भी भगवान के भक्त का अपमान तो करना ही नही चाहिए। भगवान भी उसे क्षमा नही करते। मंदिर की धूल भी यदि मिले तो मस्तक पर लगाना चाहिए क्योंकि यही माध्यम हमारे जीवन को सफल कर देते है। मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि हरि नवमी के चलते विशेष श्रंगार आरती का लाभ सभी हरि भक्तो ने लिया।
स्वामीनारायण मंदिर में फल महोत्सव
आज सिलमपुरा स्थित स्वामीनारायण मंदिर में फलमहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में मौसमी फल आम, आलूबुखारा, जाम अनार,पपीता, केला,नासपाती, बबुषा जैसे फलों से भगवान को भोग लगाया जावेगा, इस फल महोत्सव के यजमान प्रदेश मंडी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोषसिंह दिक्षित, महंत कोठारी पीपी स्वामी और शास्त्री राजेंद्र प्रसाद दास जी के प्रेरणा से किया जा रहा है । इस अवसर पर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तथा दिल्ली आदि प्रदेशों से भक्त पधार रहे हैं, जो इस फल महोत्सव का दर्शन करेंगे। कहते हैं कि अधिक मास में फल का दान अधिक फलीभूत होता है।
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comunal harmonyबुरहानपुर। शहर का अति प्राचीन 190 वर्ष पुराना स्वामीनारायण मंदिर बना गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक। इस मंदिर में राजकोट के बोहरा समाज के अब्दुल्ला भाई अपने परिवार को लेकर पिछले 20 वर्षों से निरन्तर बुरहानपुर पहुंच रहे हैं और दरगाह हकीमी में दर्शन के साथ-साथ स्वामीनारायण मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य मानते हैं। उनका अपना कहना है कि भगवान लक्ष्मी नारायण देव साक्षात है। जो मन की इच्छाओं को जानकर ही पूर्ण कर देते हैं। वह बोहरा समाज के होने के बावजूद हिंदू धर्म और स्वामी एवं संप्रदाय के सारे नियम धर्मों का पालन भी करते हैं। यही नहीं वह आरती और पूजन में भी शामिल होकर संप्रदाय के ही भक्तों के समान सारे नियम का पालन कर चरण झूला आरती गाना और जय स्वामीनारायण बोलना उनकी संस्कृति ही नहीं बल्कि यह गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक है।
कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
निज मंदिर में विराजित लक्ष्मी नारायण देव के दरबार में परमपूज्य शास्त्री राजेंद्र प्रसाद जी ने 10 वे दिन की कथा में व्यासपीठ से कहा कि भगवान के चरित्र अतिसुखदायक है। कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान की कथा सुनने और सेवा करने से हम पर भगवान की कृपा मिलती है, जो भगवान स्वामिनारायण हमे सौभाग्य से मिले है। हमारा जीवन धन्य हो गया है। यदि हम पर भगवान की कृपा हो जाये तो हम कभी भी परास्त नही हो सकते।
अधिक मास में हरि नवमी, एकादशी, पौर्णिमा, एकादशी, अमावस्या इन दिनों में व्रत, तप, जप करने से अधिक से अधिक फल मिलता है। हमें इसी जनम में ही चारो परमार्थ कर लेना चाहिए। धर्म, कर्म, काम और मोक्ष करना चाहिए।
किसी का भी अपमान नही चाहिए और भूलकर भी भगवान के भक्त का अपमान तो करना ही नही चाहिए। भगवान भी उसे क्षमा नही करते। मंदिर की धूल भी यदि मिले तो मस्तक पर लगाना चाहिए क्योंकि यही माध्यम हमारे जीवन को सफल कर देते है। मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि हरि नवमी के चलते विशेष श्रंगार आरती का लाभ सभी हरि भक्तो ने लिया।
स्वामीनारायण मंदिर में फल महोत्सव
आज सिलमपुरा स्थित स्वामीनारायण मंदिर में फलमहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में मौसमी फल आम, आलूबुखारा, जाम अनार,पपीता, केला,नासपाती, बबुषा जैसे फलों से भगवान को भोग लगाया जावेगा, इस फल महोत्सव के यजमान प्रदेश मंडी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोषसिंह दिक्षित, महंत कोठारी पीपी स्वामी और शास्त्री राजेंद्र प्रसाद दास जी के प्रेरणा से किया जा रहा है । इस अवसर पर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तथा दिल्ली आदि प्रदेशों से भक्त पधार रहे हैं, जो इस फल महोत्सव का दर्शन करेंगे। कहते हैं कि अधिक मास में फल का दान अधिक फलीभूत होता है।
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comunal harmonyबुरहानपुर। शहर का अति प्राचीन 190 वर्ष पुराना स्वामीनारायण मंदिर बना गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक। इस मंदिर में राजकोट के बोहरा समाज के अब्दुल्ला भाई अपने परिवार को लेकर पिछले 20 वर्षों से निरन्तर बुरहानपुर पहुंच रहे हैं और दरगाह हकीमी में दर्शन के साथ-साथ स्वामीनारायण मंदिर में भगवान लक्ष्मी नारायण देव के दर्शन कर अपने आप को धन्य मानते हैं। उनका अपना कहना है कि भगवान लक्ष्मी नारायण देव साक्षात है। जो मन की इच्छाओं को जानकर ही पूर्ण कर देते हैं। वह बोहरा समाज के होने के बावजूद हिंदू धर्म और स्वामी एवं संप्रदाय के सारे नियम धर्मों का पालन भी करते हैं। यही नहीं वह आरती और पूजन में भी शामिल होकर संप्रदाय के ही भक्तों के समान सारे नियम का पालन कर चरण झूला आरती गाना और जय स्वामीनारायण बोलना उनकी संस्कृति ही नहीं बल्कि यह गंगा जमुनी संस्कृति का प्रतीक है।
कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति
निज मंदिर में विराजित लक्ष्मी नारायण देव के दरबार में परमपूज्य शास्त्री राजेंद्र प्रसाद जी ने 10 वे दिन की कथा में व्यासपीठ से कहा कि भगवान के चरित्र अतिसुखदायक है। कथा से ही आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। भगवान की कथा सुनने और सेवा करने से हम पर भगवान की कृपा मिलती है, जो भगवान स्वामिनारायण हमे सौभाग्य से मिले है। हमारा जीवन धन्य हो गया है। यदि हम पर भगवान की कृपा हो जाये तो हम कभी भी परास्त नही हो सकते।
अधिक मास में हरि नवमी, एकादशी, पौर्णिमा, एकादशी, अमावस्या इन दिनों में व्रत, तप, जप करने से अधिक से अधिक फल मिलता है। हमें इसी जनम में ही चारो परमार्थ कर लेना चाहिए। धर्म, कर्म, काम और मोक्ष करना चाहिए।
किसी का भी अपमान नही चाहिए और भूलकर भी भगवान के भक्त का अपमान तो करना ही नही चाहिए। भगवान भी उसे क्षमा नही करते। मंदिर की धूल भी यदि मिले तो मस्तक पर लगाना चाहिए क्योंकि यही माध्यम हमारे जीवन को सफल कर देते है। मंदिर प्रवक्ता गोपाल देवकर ने बताया कि हरि नवमी के चलते विशेष श्रंगार आरती का लाभ सभी हरि भक्तो ने लिया।
स्वामीनारायण मंदिर में फल महोत्सव
आज सिलमपुरा स्थित स्वामीनारायण मंदिर में फलमहोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में मौसमी फल आम, आलूबुखारा, जाम अनार,पपीता, केला,नासपाती, बबुषा जैसे फलों से भगवान को भोग लगाया जावेगा, इस फल महोत्सव के यजमान प्रदेश मंडी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोषसिंह दिक्षित, महंत कोठारी पीपी स्वामी और शास्त्री राजेंद्र प्रसाद दास जी के प्रेरणा से किया जा रहा है । इस अवसर पर मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्य महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, तथा दिल्ली आदि प्रदेशों से भक्त पधार रहे हैं, जो इस फल महोत्सव का दर्शन करेंगे। कहते हैं कि अधिक मास में फल का दान अधिक फलीभूत होता है।