- – निर्दलीय, नोटा भाजपा-कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द
– 2018 के चुनाव में नोटा को पड़े थे 5 हजार से ज्यादा वोट,
6 निर्दलीय को मिलाकर मिले थे कुल 1 लाख 1 हजार 57 मत - जाने बुरहानपुर सीट से बीजेपी की दावेदार का एक परिचय
Mp Election 2023बुरहानपुर। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चौंकाया था निर्दलीय प्रत्याशियों और नोटा के बटन ने। इस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों के नाम की सूची काफी लंबी रही। 6 निर्दलीय प्रत्याशियों ने कांग्रेस और भाजपा का समीकरण बिगाड़ा दिया था। दूसरा चौंकाने वाला मामला नोटा बटन का था। 2018 के चुनाव में 5 हजार 726 मत नोटा को पड़े थे, किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि नोटा पर 5 हजार मत पड़ेंगे। ये आंकड़ा समीकरण बिगाडऩे के लिए काफी था। इस बार भी निर्दलीय प्रत्याशी और नोटा भाजपा-कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन सकते हैं। इससे निपटने के लिए अब भाजपा और कांग्रेस दोनों को नई रणनीति बनाकर काम करना होगा।
2018 के विधानसभा चुनाव में 8 निर्दलीय प्रत्याशी खड़े हुए थे। इन 6 प्रत्याशियों ने कुल 1 लाख 1 हजार 57 मत लिए थे। इन सब में सबसे ज्यादा मत ठाकुर सुरेन्द्रसिंह ने प्राप्त किए थे। ठाकुर ने 98 हजार 561 मत लेकर दो बार कीं विधायक अर्चना चिटनीस को हराया था और कांग्रेस की भी तीसरे पायदान पर ढकेल दिया था। चिटनीस को 93 हजार 441 मत मिले थे तो कांग्रेस के महाजन को मात्र 15 हजार 369 मत पड़े थे। इसके अलावा निर्दलीय प्रत्याशियों में शौकत अली 1200 वोट, शेख शरीफ राजगीर 487, विजय शाह गांजेवाला 410, स्वामी पुष्कारानंद महाराज 208 और दयाशंकर यादव को 191 मत प्राप्त हुए थे। - यहां क्लिक कर पढे ठाकुर सुरेंद्र सिंह शेरा का परिचय
बुरहानपुर विधानसभा में साल 2018 के चुनाव में भाजपा की कद्दावर नेता अर्चना चिटनीस को निर्दलीय प्रत्याशी ठाकुर सुरेन्द्रसिंह ने हराया था। अर्चना चिटनीस बुरहानपुर विधानसभा से दो बार विधायक चुनाव जीत चुकी थी। तीसरे चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के मैदान में उतरने से सभी समीकरण बदल गए। अर्चना चिटनीस लगभग 5 हजार वोटों से पराजित हुई। 2018 के चुनाव के परिणाम चौंकाने वाले थे। इस परिणाम के कयास किसी नहीं लगाए थे। निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्रसिंह को शहर के मुस्लिम वोट ज्यादा मिले थे। भाजपा प्रत्याशी अर्चना चिटनीस को कुल 93 हजार 441 वोट मिले थे। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी ठाकुर सुरेन्द्रसिंह ने कुल 98 हजार 561 मत लिए थे। कांग्रेस का प्रदर्शन इस चुनाव में काफी खराब रहा था। कांग्रेस के प्रत्याशी रविन्द्र महाजन को मात्र 15 हजार 369 मत मिले थे। इसके अलावा अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी भाजपा, कांग्रेस के वोट काटे थे। इस चुनाव में नोटा को 5 हजार 726 मत प्राप्त हुए थे।
इस बार बदले समीकरण
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इस बार चुनावी समीकरण बदल चुके हैं, क्योंकि कोई भी अब तक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कोई बड़ा नाम सामने नहीं आया है। अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। अब पूरा खेल कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी पर निर्भर है। भाजपा से पूर्व मंत्री व विधायक अर्चना चिटनीस प्रबल दावेदार हैं। पूर्व सांसद स्व. नंदकुमारसिंह चौहान हर्षवर्धनसिंह चौहान, पूर्व नगर निगम अध्यक्ष मनोज तारवाला सहित अन्य कुछ कार्यकर्ता दावेदारी पेश कर रहे हैं। कांग्रेस से प्रदेश कांग्रेस महासचिव अजयसिंह रघुवंशी, मुन्ना यादव और पूर्व नगर निगम अध्यक्ष गौरी दिनेश शर्मा, तारीका सिंह प्रबल दावेदार है। इन सब में रघुवंशी और यादव को टिकट मिलने की संभावना कार्यकर्ता जता रहे हैं।
लाड़ली बहना, नारी सम्मान का मुकाबला
चुनावी मुद्दों के नाम पर इस बार भाजपा के पास लाड़ली बहना योजना है। हालांकि अब भी तकनीकी कारणों से कई महिलाओं को लाभ नहीं मिल रहा है। जिले में सवा लाख महिलाओं को लाड़ली बहना योजना के तहत राशि मिल रही है। दूसरी ओर कांग्रेस नारी सम्मान योजना के भरोसे है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस की इस योजना के हाल बुरे है। जिले में कांग्रेस महिलाओं के फार्म नहीं भरवा पा रही है। इसका नुकसान कांग्रेस को चुनाव में हो सकता है और भाजपा को लाड़ली बहना योजना का दुगना फायदा मिल सकता है।