spot_imgspot_imgspot_img
spot_img
Friday, June 13, 2025
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Burhānpur
broken clouds
38.3 ° C
38.3 °
38.3 °
32 %
6.3kmh
83 %
Fri
39 °
Sat
41 °
Sun
37 °
Mon
33 °
Tue
29 °

Birds Home :आदिवासी छात्रावास में बच्चों का होम फॉर बर्ड्स कान्सेप्ट, फिर सुनाई दे रही चहचहाहट

Birds Homeबुरहानपुर (शहरों में पेडों की कटाई व पेड लगाने के लिए स्थान नहीं होने और आधुनिक दौर में बन रहे मकानों में हमारे घरेलू पक्षी अपना घोसला बनाना नहीं समझ पा रहे है ऐसे में हमारी यह जवाबदारी है कि हम अपने मकानों में युगो युगो से हमारे साथी रहे पक्षियों के लिए दाना पानी और आशियाने का इंतजाम करें इसी की एक ताजी बनगी देखने को मिली बुरहानपुर बहादरपुर स्थित जनजातीय बालक आश्रम में जहां के नन्हे मुन्ने बालकों ने अपने शिक्षकों से केले के रेशे से हमारी घऱेलू चिडिया के आशियाना बनाना सीखा और जुट गए इन आशियानों को बनाने में केले के रेशे से बनाए जा रहे इन पक्षियों के आशियाने तपती धूप में भी पक्षियों को राहत पहुंचा रहा है

जब पंखे पर बना चिडिया आशियाना गिरा

आश्रम के अधीक्षक सुरेश करोडा बताते है एक दिन जब व आश्रम पर थे और उन्होने अचानक पंखा ऑन किया इस पर चिडिया ने अंडे दिए थे पंखा ऑन करने से चिडिया भी गिरकर घायल हो गई और उसके अंडे भी फुट गए वह इस घटना से इतने आहत हुए कि उन्होने चिडिया के आशियाने बनाने की ठानी यूटूयूब से चिडियों का आशियाना बनाना सीखा फिर इसे अपने बालक आश्रम में पढने वाले नन्हें मुन्ने बच्चों को भी सिखाया बच्चों को चिडिया के घोंसले बनवाने का मकसद यह था कि इन बच्चों में भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हो और भविष्य में वह भी इन पक्षियों के रहने दाना पानी की व्यवस्था करें सुरेंश करोडा बताते है उनके आश्रम के बालक महज आधा घंटे में एक घोसला बना लेते है
बालक आश्रम के बच्चों का चिडिया के घोंसले बनाना अनूठे मिसालजनजातीय बालक आश्रम के छोटे छोटे बच्चे अपने खाली समय में केले के रेशे व अऩ्य सामग्री से चिडिया के घोंसले बना रहे है अबतक इन बच्चों से पांच दर्जन से अधिक चिडिया के घोंसले बना लिए है ऐसा करने से यह बालक खाली समय में एक नई चीज सीख गए है और उन्हें भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हुआ है अब यह बच्चे भी सभी लोगो से यह अपील कर रहे है गर्मी का मौसम है सभी लोग अपने अपने घर पर चिडिया के घोसले बनाए और उनके दाना पानी का इंतजाम करें

कैसे बनाया जाता है चिडिया का घोंसला

घोंसले बनाने के लिए केले के रेशे, फेविकोल, कैंची, धागा, कंघी और बैलून की जरूरत होती है. सबसे पहले केले के रेशों को अच्छी तरह साफ किया जाता है. फिर घोंसले का शेप देने के लिए बैलून को फुलाया जाता है. इसके बाद केले के रेशों को फेविकोल से बैलून पर चिपकाया जाता है और जब सूखने के बाद रेशा सख्त हो जाता है तो बैलून को निकाल दिया जाता है. बैलून की नॉट पर ही एक मजबूत हैंडल तैयार कर उसे लगाया जाता है. इसके साथ ही बैलून हटाते वक्त घोंसले में एक छोटा सा होल बनाकर रास्ता बनाया जाता है. इसके बाद यह घोंसला तैयार हो जाता है.
छात्र श्याम का कहना है कि “उन्हें स्कूल की मैडम ने ये आइडिया दिया और सभी ने मिलकर अब तक 100 घोंसले तैयार कर लिए हैं. इन घोंसलों को स्कूल में और आसपास के पेड़ों पर, घरों के कोनों में और सार्वजनिक स्थलों पर लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, वे पास में पानी का पात्र भी रखते हैं ताकि गर्मी में चिड़ियों को प्यास से राहत मिल सक. आश्रम के भीतर और बाहर बने इन घोंसलों में अब चिड़ियों ने अपने अंडे देना शुरू कर दिया है.”आश्रम अधीक्षिक सुरेश करोड़ा ने बताया कि “एक घटना से प्रेरित होकर इस काम को शुरू किया. एक दिन उनके घर मे पंखे पर एक चिड़िया ने अंडे दिए, यह बात उन्हें पता नहीं चल सकी. उन्होंने जैसे ही स्विच ऑन किया. चिड़िया और अंडे नीचे गिर गए. इससे वह काफी आहत हुई. उस दिन से उन्होंने चिड़ियों के लिए घोंसले बनाने का संकल्प लिया, ताकि पक्षियों को सुरक्षित और बेहतर आशियाना मिल सके. इसके बाद इसकी शुरूआत स्कूल से की और खाली समय में बच्चों को घोंसला बनाना सिखाया.बच्चे अब ‘वेस्ट से बेस्ट’ बनाना सीख चुके हैं. उनका कहना है कि अगर लोग उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराएं, तो वे घोंसले बनाकर निःशुल्क देने के लिए तैयार हैं.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Birds Home :आदिवासी छात्रावास में बच्चों का होम फॉर बर्ड्स कान्सेप्ट, फिर सुनाई दे रही चहचहाहट

Birds Homeबुरहानपुर (शहरों में पेडों की कटाई व पेड लगाने के लिए स्थान नहीं होने और आधुनिक दौर में बन रहे मकानों में हमारे घरेलू पक्षी अपना घोसला बनाना नहीं समझ पा रहे है ऐसे में हमारी यह जवाबदारी है कि हम अपने मकानों में युगो युगो से हमारे साथी रहे पक्षियों के लिए दाना पानी और आशियाने का इंतजाम करें इसी की एक ताजी बनगी देखने को मिली बुरहानपुर बहादरपुर स्थित जनजातीय बालक आश्रम में जहां के नन्हे मुन्ने बालकों ने अपने शिक्षकों से केले के रेशे से हमारी घऱेलू चिडिया के आशियाना बनाना सीखा और जुट गए इन आशियानों को बनाने में केले के रेशे से बनाए जा रहे इन पक्षियों के आशियाने तपती धूप में भी पक्षियों को राहत पहुंचा रहा है

जब पंखे पर बना चिडिया आशियाना गिरा

आश्रम के अधीक्षक सुरेश करोडा बताते है एक दिन जब व आश्रम पर थे और उन्होने अचानक पंखा ऑन किया इस पर चिडिया ने अंडे दिए थे पंखा ऑन करने से चिडिया भी गिरकर घायल हो गई और उसके अंडे भी फुट गए वह इस घटना से इतने आहत हुए कि उन्होने चिडिया के आशियाने बनाने की ठानी यूटूयूब से चिडियों का आशियाना बनाना सीखा फिर इसे अपने बालक आश्रम में पढने वाले नन्हें मुन्ने बच्चों को भी सिखाया बच्चों को चिडिया के घोंसले बनवाने का मकसद यह था कि इन बच्चों में भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हो और भविष्य में वह भी इन पक्षियों के रहने दाना पानी की व्यवस्था करें सुरेंश करोडा बताते है उनके आश्रम के बालक महज आधा घंटे में एक घोसला बना लेते है
बालक आश्रम के बच्चों का चिडिया के घोंसले बनाना अनूठे मिसालजनजातीय बालक आश्रम के छोटे छोटे बच्चे अपने खाली समय में केले के रेशे व अऩ्य सामग्री से चिडिया के घोंसले बना रहे है अबतक इन बच्चों से पांच दर्जन से अधिक चिडिया के घोंसले बना लिए है ऐसा करने से यह बालक खाली समय में एक नई चीज सीख गए है और उन्हें भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हुआ है अब यह बच्चे भी सभी लोगो से यह अपील कर रहे है गर्मी का मौसम है सभी लोग अपने अपने घर पर चिडिया के घोसले बनाए और उनके दाना पानी का इंतजाम करें

कैसे बनाया जाता है चिडिया का घोंसला

घोंसले बनाने के लिए केले के रेशे, फेविकोल, कैंची, धागा, कंघी और बैलून की जरूरत होती है. सबसे पहले केले के रेशों को अच्छी तरह साफ किया जाता है. फिर घोंसले का शेप देने के लिए बैलून को फुलाया जाता है. इसके बाद केले के रेशों को फेविकोल से बैलून पर चिपकाया जाता है और जब सूखने के बाद रेशा सख्त हो जाता है तो बैलून को निकाल दिया जाता है. बैलून की नॉट पर ही एक मजबूत हैंडल तैयार कर उसे लगाया जाता है. इसके साथ ही बैलून हटाते वक्त घोंसले में एक छोटा सा होल बनाकर रास्ता बनाया जाता है. इसके बाद यह घोंसला तैयार हो जाता है.
छात्र श्याम का कहना है कि “उन्हें स्कूल की मैडम ने ये आइडिया दिया और सभी ने मिलकर अब तक 100 घोंसले तैयार कर लिए हैं. इन घोंसलों को स्कूल में और आसपास के पेड़ों पर, घरों के कोनों में और सार्वजनिक स्थलों पर लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, वे पास में पानी का पात्र भी रखते हैं ताकि गर्मी में चिड़ियों को प्यास से राहत मिल सक. आश्रम के भीतर और बाहर बने इन घोंसलों में अब चिड़ियों ने अपने अंडे देना शुरू कर दिया है.”आश्रम अधीक्षिक सुरेश करोड़ा ने बताया कि “एक घटना से प्रेरित होकर इस काम को शुरू किया. एक दिन उनके घर मे पंखे पर एक चिड़िया ने अंडे दिए, यह बात उन्हें पता नहीं चल सकी. उन्होंने जैसे ही स्विच ऑन किया. चिड़िया और अंडे नीचे गिर गए. इससे वह काफी आहत हुई. उस दिन से उन्होंने चिड़ियों के लिए घोंसले बनाने का संकल्प लिया, ताकि पक्षियों को सुरक्षित और बेहतर आशियाना मिल सके. इसके बाद इसकी शुरूआत स्कूल से की और खाली समय में बच्चों को घोंसला बनाना सिखाया.बच्चे अब ‘वेस्ट से बेस्ट’ बनाना सीख चुके हैं. उनका कहना है कि अगर लोग उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराएं, तो वे घोंसले बनाकर निःशुल्क देने के लिए तैयार हैं.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -
- Advertisement -

Latest Articles

Birds Home :आदिवासी छात्रावास में बच्चों का होम फॉर बर्ड्स कान्सेप्ट, फिर सुनाई दे रही चहचहाहट

Birds Homeबुरहानपुर (शहरों में पेडों की कटाई व पेड लगाने के लिए स्थान नहीं होने और आधुनिक दौर में बन रहे मकानों में हमारे घरेलू पक्षी अपना घोसला बनाना नहीं समझ पा रहे है ऐसे में हमारी यह जवाबदारी है कि हम अपने मकानों में युगो युगो से हमारे साथी रहे पक्षियों के लिए दाना पानी और आशियाने का इंतजाम करें इसी की एक ताजी बनगी देखने को मिली बुरहानपुर बहादरपुर स्थित जनजातीय बालक आश्रम में जहां के नन्हे मुन्ने बालकों ने अपने शिक्षकों से केले के रेशे से हमारी घऱेलू चिडिया के आशियाना बनाना सीखा और जुट गए इन आशियानों को बनाने में केले के रेशे से बनाए जा रहे इन पक्षियों के आशियाने तपती धूप में भी पक्षियों को राहत पहुंचा रहा है

जब पंखे पर बना चिडिया आशियाना गिरा

आश्रम के अधीक्षक सुरेश करोडा बताते है एक दिन जब व आश्रम पर थे और उन्होने अचानक पंखा ऑन किया इस पर चिडिया ने अंडे दिए थे पंखा ऑन करने से चिडिया भी गिरकर घायल हो गई और उसके अंडे भी फुट गए वह इस घटना से इतने आहत हुए कि उन्होने चिडिया के आशियाने बनाने की ठानी यूटूयूब से चिडियों का आशियाना बनाना सीखा फिर इसे अपने बालक आश्रम में पढने वाले नन्हें मुन्ने बच्चों को भी सिखाया बच्चों को चिडिया के घोंसले बनवाने का मकसद यह था कि इन बच्चों में भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हो और भविष्य में वह भी इन पक्षियों के रहने दाना पानी की व्यवस्था करें सुरेंश करोडा बताते है उनके आश्रम के बालक महज आधा घंटे में एक घोसला बना लेते है
बालक आश्रम के बच्चों का चिडिया के घोंसले बनाना अनूठे मिसालजनजातीय बालक आश्रम के छोटे छोटे बच्चे अपने खाली समय में केले के रेशे व अऩ्य सामग्री से चिडिया के घोंसले बना रहे है अबतक इन बच्चों से पांच दर्जन से अधिक चिडिया के घोंसले बना लिए है ऐसा करने से यह बालक खाली समय में एक नई चीज सीख गए है और उन्हें भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हुआ है अब यह बच्चे भी सभी लोगो से यह अपील कर रहे है गर्मी का मौसम है सभी लोग अपने अपने घर पर चिडिया के घोसले बनाए और उनके दाना पानी का इंतजाम करें

कैसे बनाया जाता है चिडिया का घोंसला

घोंसले बनाने के लिए केले के रेशे, फेविकोल, कैंची, धागा, कंघी और बैलून की जरूरत होती है. सबसे पहले केले के रेशों को अच्छी तरह साफ किया जाता है. फिर घोंसले का शेप देने के लिए बैलून को फुलाया जाता है. इसके बाद केले के रेशों को फेविकोल से बैलून पर चिपकाया जाता है और जब सूखने के बाद रेशा सख्त हो जाता है तो बैलून को निकाल दिया जाता है. बैलून की नॉट पर ही एक मजबूत हैंडल तैयार कर उसे लगाया जाता है. इसके साथ ही बैलून हटाते वक्त घोंसले में एक छोटा सा होल बनाकर रास्ता बनाया जाता है. इसके बाद यह घोंसला तैयार हो जाता है.
छात्र श्याम का कहना है कि “उन्हें स्कूल की मैडम ने ये आइडिया दिया और सभी ने मिलकर अब तक 100 घोंसले तैयार कर लिए हैं. इन घोंसलों को स्कूल में और आसपास के पेड़ों पर, घरों के कोनों में और सार्वजनिक स्थलों पर लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, वे पास में पानी का पात्र भी रखते हैं ताकि गर्मी में चिड़ियों को प्यास से राहत मिल सक. आश्रम के भीतर और बाहर बने इन घोंसलों में अब चिड़ियों ने अपने अंडे देना शुरू कर दिया है.”आश्रम अधीक्षिक सुरेश करोड़ा ने बताया कि “एक घटना से प्रेरित होकर इस काम को शुरू किया. एक दिन उनके घर मे पंखे पर एक चिड़िया ने अंडे दिए, यह बात उन्हें पता नहीं चल सकी. उन्होंने जैसे ही स्विच ऑन किया. चिड़िया और अंडे नीचे गिर गए. इससे वह काफी आहत हुई. उस दिन से उन्होंने चिड़ियों के लिए घोंसले बनाने का संकल्प लिया, ताकि पक्षियों को सुरक्षित और बेहतर आशियाना मिल सके. इसके बाद इसकी शुरूआत स्कूल से की और खाली समय में बच्चों को घोंसला बनाना सिखाया.बच्चे अब ‘वेस्ट से बेस्ट’ बनाना सीख चुके हैं. उनका कहना है कि अगर लोग उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराएं, तो वे घोंसले बनाकर निःशुल्क देने के लिए तैयार हैं.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles

Birds Home :आदिवासी छात्रावास में बच्चों का होम फॉर बर्ड्स कान्सेप्ट, फिर सुनाई दे रही चहचहाहट

Birds Homeबुरहानपुर (शहरों में पेडों की कटाई व पेड लगाने के लिए स्थान नहीं होने और आधुनिक दौर में बन रहे मकानों में हमारे घरेलू पक्षी अपना घोसला बनाना नहीं समझ पा रहे है ऐसे में हमारी यह जवाबदारी है कि हम अपने मकानों में युगो युगो से हमारे साथी रहे पक्षियों के लिए दाना पानी और आशियाने का इंतजाम करें इसी की एक ताजी बनगी देखने को मिली बुरहानपुर बहादरपुर स्थित जनजातीय बालक आश्रम में जहां के नन्हे मुन्ने बालकों ने अपने शिक्षकों से केले के रेशे से हमारी घऱेलू चिडिया के आशियाना बनाना सीखा और जुट गए इन आशियानों को बनाने में केले के रेशे से बनाए जा रहे इन पक्षियों के आशियाने तपती धूप में भी पक्षियों को राहत पहुंचा रहा है

जब पंखे पर बना चिडिया आशियाना गिरा

आश्रम के अधीक्षक सुरेश करोडा बताते है एक दिन जब व आश्रम पर थे और उन्होने अचानक पंखा ऑन किया इस पर चिडिया ने अंडे दिए थे पंखा ऑन करने से चिडिया भी गिरकर घायल हो गई और उसके अंडे भी फुट गए वह इस घटना से इतने आहत हुए कि उन्होने चिडिया के आशियाने बनाने की ठानी यूटूयूब से चिडियों का आशियाना बनाना सीखा फिर इसे अपने बालक आश्रम में पढने वाले नन्हें मुन्ने बच्चों को भी सिखाया बच्चों को चिडिया के घोंसले बनवाने का मकसद यह था कि इन बच्चों में भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हो और भविष्य में वह भी इन पक्षियों के रहने दाना पानी की व्यवस्था करें सुरेंश करोडा बताते है उनके आश्रम के बालक महज आधा घंटे में एक घोसला बना लेते है
बालक आश्रम के बच्चों का चिडिया के घोंसले बनाना अनूठे मिसालजनजातीय बालक आश्रम के छोटे छोटे बच्चे अपने खाली समय में केले के रेशे व अऩ्य सामग्री से चिडिया के घोंसले बना रहे है अबतक इन बच्चों से पांच दर्जन से अधिक चिडिया के घोंसले बना लिए है ऐसा करने से यह बालक खाली समय में एक नई चीज सीख गए है और उन्हें भी पक्षियों के प्रति प्रेम जागृत हुआ है अब यह बच्चे भी सभी लोगो से यह अपील कर रहे है गर्मी का मौसम है सभी लोग अपने अपने घर पर चिडिया के घोसले बनाए और उनके दाना पानी का इंतजाम करें

कैसे बनाया जाता है चिडिया का घोंसला

घोंसले बनाने के लिए केले के रेशे, फेविकोल, कैंची, धागा, कंघी और बैलून की जरूरत होती है. सबसे पहले केले के रेशों को अच्छी तरह साफ किया जाता है. फिर घोंसले का शेप देने के लिए बैलून को फुलाया जाता है. इसके बाद केले के रेशों को फेविकोल से बैलून पर चिपकाया जाता है और जब सूखने के बाद रेशा सख्त हो जाता है तो बैलून को निकाल दिया जाता है. बैलून की नॉट पर ही एक मजबूत हैंडल तैयार कर उसे लगाया जाता है. इसके साथ ही बैलून हटाते वक्त घोंसले में एक छोटा सा होल बनाकर रास्ता बनाया जाता है. इसके बाद यह घोंसला तैयार हो जाता है.
छात्र श्याम का कहना है कि “उन्हें स्कूल की मैडम ने ये आइडिया दिया और सभी ने मिलकर अब तक 100 घोंसले तैयार कर लिए हैं. इन घोंसलों को स्कूल में और आसपास के पेड़ों पर, घरों के कोनों में और सार्वजनिक स्थलों पर लगा रहे हैं. इतना ही नहीं, वे पास में पानी का पात्र भी रखते हैं ताकि गर्मी में चिड़ियों को प्यास से राहत मिल सक. आश्रम के भीतर और बाहर बने इन घोंसलों में अब चिड़ियों ने अपने अंडे देना शुरू कर दिया है.”आश्रम अधीक्षिक सुरेश करोड़ा ने बताया कि “एक घटना से प्रेरित होकर इस काम को शुरू किया. एक दिन उनके घर मे पंखे पर एक चिड़िया ने अंडे दिए, यह बात उन्हें पता नहीं चल सकी. उन्होंने जैसे ही स्विच ऑन किया. चिड़िया और अंडे नीचे गिर गए. इससे वह काफी आहत हुई. उस दिन से उन्होंने चिड़ियों के लिए घोंसले बनाने का संकल्प लिया, ताकि पक्षियों को सुरक्षित और बेहतर आशियाना मिल सके. इसके बाद इसकी शुरूआत स्कूल से की और खाली समय में बच्चों को घोंसला बनाना सिखाया.बच्चे अब ‘वेस्ट से बेस्ट’ बनाना सीख चुके हैं. उनका कहना है कि अगर लोग उन्हें कच्चा माल उपलब्ध कराएं, तो वे घोंसले बनाकर निःशुल्क देने के लिए तैयार हैं.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles