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Monday, August 4, 2025
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BURHANPUR SWEET NEWS दराबा मिठाई ने देश में बढाया बुरहानपुर का मान, जानिए दराबा मिठाई ने क्यों बढाया बुरहानपुर का मान

मिठाईयो में अनूठी है बुरहानपुर में बनने वाली दराबा नामक मिठाई
BURHANPUR NEWS बुरहानपुर(शारिक अख्तर दुररानी)मप्र की मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर के बाद ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर भी मुगलकाल से जायकेदार खानपान के लिए जाना जाता है वैसे तो बुरहानपुर में बनने वाली मिठाईया मप्र के साथ साथ देश में काफी प्रसिध्द है लेकिन इनमें से एक खास मिठाई जिसे दराबा कहा जाता है वह इस लिए खास है दावा यह किया जाता है यह मिठाई यानी दराबा मिठाई बुरहानपुर के अलावा कही भी नहीं बनाई जाती है दराबा नामक तैयार होने वाली मिठाई को ना केवल स्थानीय लोग पसंद करते है बल्कि देश विदेश के लोग भी इस मिठाई को काफी पसंद करते है इस मिठाई को तैयार करने में हलवाई को 36 से 48 घंटे के समय लगता है स्थानीय भाषा में इसे दराबा कहा जाता है इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे आप तीन महीने तक स्टोर करके रख सकते है , इसे देसी घी, शक्कर, रवा मिलाकर बनाते हैं, दराबा लचीला और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई घंटों तक रगड़ा जाता है, अब इसको एक मैगजीन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है
स्थानीय मिठाई विक्रेता शम्मी देवड़ा ने बताया कि दिल्ली में सभी राज्यों से मिठाई मंगवाई गई थी, इसमें बुरहानपुर से प्रसिद्ध दराबा मिठाई को शामिल किया हैं, दराबा एक ऐसी मिठाई है, जिसको बनाने में 36 से 48 घंटे लगते हैं, यह 3 महीने तक खराब नहीं होती है, जितना बासी होती हैं उतना उसका स्वाद बढ़ता है, बुरहानपुर में ताप्ती नदी के तट पर सालाना भगवान बालाजी का मेला लगता है दराबा मिठाई भगवान बालाजी का प्रिय प्रसाद है, बालाजी महाराज को इसका भोग लगाया जाता हैं, बालाजी मेले में हजारों क्विंटल की खपत होती है, इसको खाने से शारिरिक कमजोरी दूर होती हैं, इसके सेवन के अनगिनत फायदे हैं, हमारे स्वीटस से रोजाना 40 किलो की खपत हो रही है, इसके अलावा देशभर से आर्डर आते है, इसे लोग बेहद पसंद करते है।

ऐसे बनती है दराबा मिठाई

मिठाई विक्रेता शम्मी देवडा ने बताया दराबा मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध देसी घी, शक्कर, रवे का उपयोग किया जाता है, इसको बड़ी कढ़ाई में एक दिन सेका जाता है, फिर रगड़कर मुलायम बनाते है, 48 घंटे होने के बाद यह तैयार होता है, इसको बनाने में सबसे अधिक मेहनत लगती है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होता है, ज्यादातर मुसाफिर इसको सफर में सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं, ताकि उनको पूरे सफर के दौरान कमजोरी महसूस नहीं हो सके।

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मिठाईयो में अनूठी है बुरहानपुर में बनने वाली दराबा नामक मिठाई
BURHANPUR NEWS बुरहानपुर(शारिक अख्तर दुररानी)मप्र की मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर के बाद ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर भी मुगलकाल से जायकेदार खानपान के लिए जाना जाता है वैसे तो बुरहानपुर में बनने वाली मिठाईया मप्र के साथ साथ देश में काफी प्रसिध्द है लेकिन इनमें से एक खास मिठाई जिसे दराबा कहा जाता है वह इस लिए खास है दावा यह किया जाता है यह मिठाई यानी दराबा मिठाई बुरहानपुर के अलावा कही भी नहीं बनाई जाती है दराबा नामक तैयार होने वाली मिठाई को ना केवल स्थानीय लोग पसंद करते है बल्कि देश विदेश के लोग भी इस मिठाई को काफी पसंद करते है इस मिठाई को तैयार करने में हलवाई को 36 से 48 घंटे के समय लगता है स्थानीय भाषा में इसे दराबा कहा जाता है इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे आप तीन महीने तक स्टोर करके रख सकते है , इसे देसी घी, शक्कर, रवा मिलाकर बनाते हैं, दराबा लचीला और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई घंटों तक रगड़ा जाता है, अब इसको एक मैगजीन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है
स्थानीय मिठाई विक्रेता शम्मी देवड़ा ने बताया कि दिल्ली में सभी राज्यों से मिठाई मंगवाई गई थी, इसमें बुरहानपुर से प्रसिद्ध दराबा मिठाई को शामिल किया हैं, दराबा एक ऐसी मिठाई है, जिसको बनाने में 36 से 48 घंटे लगते हैं, यह 3 महीने तक खराब नहीं होती है, जितना बासी होती हैं उतना उसका स्वाद बढ़ता है, बुरहानपुर में ताप्ती नदी के तट पर सालाना भगवान बालाजी का मेला लगता है दराबा मिठाई भगवान बालाजी का प्रिय प्रसाद है, बालाजी महाराज को इसका भोग लगाया जाता हैं, बालाजी मेले में हजारों क्विंटल की खपत होती है, इसको खाने से शारिरिक कमजोरी दूर होती हैं, इसके सेवन के अनगिनत फायदे हैं, हमारे स्वीटस से रोजाना 40 किलो की खपत हो रही है, इसके अलावा देशभर से आर्डर आते है, इसे लोग बेहद पसंद करते है।

ऐसे बनती है दराबा मिठाई

मिठाई विक्रेता शम्मी देवडा ने बताया दराबा मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध देसी घी, शक्कर, रवे का उपयोग किया जाता है, इसको बड़ी कढ़ाई में एक दिन सेका जाता है, फिर रगड़कर मुलायम बनाते है, 48 घंटे होने के बाद यह तैयार होता है, इसको बनाने में सबसे अधिक मेहनत लगती है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होता है, ज्यादातर मुसाफिर इसको सफर में सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं, ताकि उनको पूरे सफर के दौरान कमजोरी महसूस नहीं हो सके।

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मिठाईयो में अनूठी है बुरहानपुर में बनने वाली दराबा नामक मिठाई
BURHANPUR NEWS बुरहानपुर(शारिक अख्तर दुररानी)मप्र की मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर के बाद ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर भी मुगलकाल से जायकेदार खानपान के लिए जाना जाता है वैसे तो बुरहानपुर में बनने वाली मिठाईया मप्र के साथ साथ देश में काफी प्रसिध्द है लेकिन इनमें से एक खास मिठाई जिसे दराबा कहा जाता है वह इस लिए खास है दावा यह किया जाता है यह मिठाई यानी दराबा मिठाई बुरहानपुर के अलावा कही भी नहीं बनाई जाती है दराबा नामक तैयार होने वाली मिठाई को ना केवल स्थानीय लोग पसंद करते है बल्कि देश विदेश के लोग भी इस मिठाई को काफी पसंद करते है इस मिठाई को तैयार करने में हलवाई को 36 से 48 घंटे के समय लगता है स्थानीय भाषा में इसे दराबा कहा जाता है इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे आप तीन महीने तक स्टोर करके रख सकते है , इसे देसी घी, शक्कर, रवा मिलाकर बनाते हैं, दराबा लचीला और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई घंटों तक रगड़ा जाता है, अब इसको एक मैगजीन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है
स्थानीय मिठाई विक्रेता शम्मी देवड़ा ने बताया कि दिल्ली में सभी राज्यों से मिठाई मंगवाई गई थी, इसमें बुरहानपुर से प्रसिद्ध दराबा मिठाई को शामिल किया हैं, दराबा एक ऐसी मिठाई है, जिसको बनाने में 36 से 48 घंटे लगते हैं, यह 3 महीने तक खराब नहीं होती है, जितना बासी होती हैं उतना उसका स्वाद बढ़ता है, बुरहानपुर में ताप्ती नदी के तट पर सालाना भगवान बालाजी का मेला लगता है दराबा मिठाई भगवान बालाजी का प्रिय प्रसाद है, बालाजी महाराज को इसका भोग लगाया जाता हैं, बालाजी मेले में हजारों क्विंटल की खपत होती है, इसको खाने से शारिरिक कमजोरी दूर होती हैं, इसके सेवन के अनगिनत फायदे हैं, हमारे स्वीटस से रोजाना 40 किलो की खपत हो रही है, इसके अलावा देशभर से आर्डर आते है, इसे लोग बेहद पसंद करते है।

ऐसे बनती है दराबा मिठाई

मिठाई विक्रेता शम्मी देवडा ने बताया दराबा मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध देसी घी, शक्कर, रवे का उपयोग किया जाता है, इसको बड़ी कढ़ाई में एक दिन सेका जाता है, फिर रगड़कर मुलायम बनाते है, 48 घंटे होने के बाद यह तैयार होता है, इसको बनाने में सबसे अधिक मेहनत लगती है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होता है, ज्यादातर मुसाफिर इसको सफर में सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं, ताकि उनको पूरे सफर के दौरान कमजोरी महसूस नहीं हो सके।

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मिठाईयो में अनूठी है बुरहानपुर में बनने वाली दराबा नामक मिठाई
BURHANPUR NEWS बुरहानपुर(शारिक अख्तर दुररानी)मप्र की मिनी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर के बाद ऐतिहासिक शहर बुरहानपुर भी मुगलकाल से जायकेदार खानपान के लिए जाना जाता है वैसे तो बुरहानपुर में बनने वाली मिठाईया मप्र के साथ साथ देश में काफी प्रसिध्द है लेकिन इनमें से एक खास मिठाई जिसे दराबा कहा जाता है वह इस लिए खास है दावा यह किया जाता है यह मिठाई यानी दराबा मिठाई बुरहानपुर के अलावा कही भी नहीं बनाई जाती है दराबा नामक तैयार होने वाली मिठाई को ना केवल स्थानीय लोग पसंद करते है बल्कि देश विदेश के लोग भी इस मिठाई को काफी पसंद करते है इस मिठाई को तैयार करने में हलवाई को 36 से 48 घंटे के समय लगता है स्थानीय भाषा में इसे दराबा कहा जाता है इस मिठाई की खासियत यह है कि इसे आप तीन महीने तक स्टोर करके रख सकते है , इसे देसी घी, शक्कर, रवा मिलाकर बनाते हैं, दराबा लचीला और स्वादिष्ट बनाने के लिए कई घंटों तक रगड़ा जाता है, अब इसको एक मैगजीन के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिल गई है
स्थानीय मिठाई विक्रेता शम्मी देवड़ा ने बताया कि दिल्ली में सभी राज्यों से मिठाई मंगवाई गई थी, इसमें बुरहानपुर से प्रसिद्ध दराबा मिठाई को शामिल किया हैं, दराबा एक ऐसी मिठाई है, जिसको बनाने में 36 से 48 घंटे लगते हैं, यह 3 महीने तक खराब नहीं होती है, जितना बासी होती हैं उतना उसका स्वाद बढ़ता है, बुरहानपुर में ताप्ती नदी के तट पर सालाना भगवान बालाजी का मेला लगता है दराबा मिठाई भगवान बालाजी का प्रिय प्रसाद है, बालाजी महाराज को इसका भोग लगाया जाता हैं, बालाजी मेले में हजारों क्विंटल की खपत होती है, इसको खाने से शारिरिक कमजोरी दूर होती हैं, इसके सेवन के अनगिनत फायदे हैं, हमारे स्वीटस से रोजाना 40 किलो की खपत हो रही है, इसके अलावा देशभर से आर्डर आते है, इसे लोग बेहद पसंद करते है।

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मिठाई विक्रेता शम्मी देवडा ने बताया दराबा मिठाई को बनाने के लिए शुद्ध देसी घी, शक्कर, रवे का उपयोग किया जाता है, इसको बड़ी कढ़ाई में एक दिन सेका जाता है, फिर रगड़कर मुलायम बनाते है, 48 घंटे होने के बाद यह तैयार होता है, इसको बनाने में सबसे अधिक मेहनत लगती है, यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक साबित होता है, ज्यादातर मुसाफिर इसको सफर में सबसे अधिक खाना पसंद करते हैं, ताकि उनको पूरे सफर के दौरान कमजोरी महसूस नहीं हो सके।

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